छत्रपति शिवाजी महाराज जी , हाँ इस पोस्ट में हम आपके लिए बताने जा रहे है छत्रपति शिवाजी महाराज जी के बारे में |
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था | छत्रपति शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले और माता जीजा बाई थी | वहां के ( शिवनेरी ) लोग देवी शिवाई की पूजा करते थे , तो उनके नाम से महाराज का नाम शिवाजी पड़ा |
पिता काफी समय घर से दूर रहे थे इसलिए बचपन में उनकी देख-रेख माँ जीजा बाई और गुरु दादोजी कोंडदेव ने की |
दादोजी ने उन्हें युद्धकौशल और नीतिशास्त्र सिखाया तो जीजा बाई ने हिन्दु धार्मिक कथाएं | दादोजी का नीधम 1647 में हुआ तब उनका यह ही मानना था कि शिवाजी अपने पिता की तरह आदिल शाह की सेना में ऊँचे पद पर आसीन होंगे लेकिन हुआ कुछ और ही |
1646 में मावली के किसानों के समर्थन से शिवाजी ने अपनी सेना तैयार की | शिवाजी को पता था कि साम्राज्य खड़ा करने के लिए किले बहुत महत्वपूर्ण है | उन्होंने मात्र 15 वर्ष की उम्र में आदिल शाह के अधिकारिओ को रिश्वत दे कर तोरणा , चाकन और कोंडन किले को अपने अधिकार में ले लिया | ठाणे ,कल्याण और भिवंडी किलो को आबाजी सोनदेव की मदद से मुल्ला अहमद से छीन कर अपने अधिकार में कर लिया |
इन घटनाओं को रोकने के लिए आदिल शाह ने उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया जिसके कारण अगले 7 साल तक शिवाजी ने आदिल शाह पर सीधा आक्रमण नहीं किया | यह समय शिवाजी ने अपनी सेना बड़ी करने और प्रभावशाली देशमुखों को अपनी तरफ करने में लगा दिया |
कुछ समय बाद उन्होंने एक बड़ी सेना तैयार कर ली | घुड़सवार नेताजी पालकर और पैदल सेना येसाजी कंक ने संभाल रखी थी और शिवाजी के पास 40 किले भी आ चुके थे |
शिवाजी का प्रभाव बढ़ता जा रहा था और इसे रोकने के लिए बीजापुर की बड़ी साहिबा ने 1659 में अफ़ज़ल खान को 10 हज़ार की सेना के साथ शिवाजी पर आक्रमण करने का हुक्म दिया | अफ़ज़ल खान बहुत ही क्रूर था और अपनी ताकत के लिए जाना जाता था |
शिवाजी को उक्साने के लिए उसने कई मंदिरो को तोड़ा और बेग़ुनाह लोगो को मारा लेकिन शिवाजी बहुत बुद्धिमान थे और वह अफ़ज़ल के झांसे में नहीं आये | उन्होंने छापा मार युद्ध नीति जारी रखी | इस समय शिवाजी प्रतापगढ़ किले में रहे जो कि चारो तरफ से जंगलो से घिरा हुआ था |
अफ़ज़ल ने छल से शिवाजी को मारने की साज़िश रची | उसने शिवाजी को बिना हथियार मिलने का न्योता भेजा | जब शिवाजी अफ़ज़ल खान से मिले तो उसने शिवाजी को गले लगाते समय जम कर पकड़ लिया और मार डालने का प्रयास किया लेकिन शिवाजी पहले से तैयार थे और शिवजी ने अपने छुपा कर लाये नकल से अफ़ज़ल का पेट चीर दिया | इसके बाद प्रतापगढ़ की लड़ाई में शिवाजी ने अफ़ज़ल खान की सेना को मात दी |
अफ़ज़ल खान की हार देख बीजापुर का सुल्तान हैरान रह गया | अब रुस्तम ज़मान को भेजा गया | 28 दिसंबर 1659 को शिवाजी ने सामने से रुस्तम ज़मान की सेना पर सामने से आक्रमण कर दिया साथ ही उनकी सेना की दो गुटों ने भी दो दिशाओं से हमला कर दिया | रुस्तम ज़मान शर्मिंदा जनक स्थिति में लड़ाई के मैदान से जान बचा कर भाग गया |
1660 को आदिल शाह ने अपने सेनापति सिद्दी जोहर को शिवाजी पर हमले के लिए भेजा |
शिवाजी पन्हाला किले में थे और सिद्दी जोहर ने किले को घेर लिया | शिवाजी ने सिद्दी जोहर को मिलने का न्योता दिया और जब वे मिले आदिल शाह को सन्देश भिजवा दिया की आदिल शाह से सिद्दी जोहर गद्दारी कर रहा है | इसके बाद सिद्दी शाह और आदिल शाह के बीच लड़ाई हो गयी और इसका फायदा उठा कर शिवाजी एक रात अपने 5000 सिपाहियों के साथ पन्हाना किले से बाहर निकल आये | बाजीप्रभु देशपांडे ने दुश्मन सेना को उलझाए रखा जिससे शिवाजी अच्छे से विशालगढ़ पहुंच गए | इस लड़ाई में बाजीप्रभु देशपांडे को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा |
अब बीजापुर की बड़ी बेगम ने औरंगज़ेब से शिवाजी को पकड़ने की विनती की | इसके बाद उसने अपने मामा शाइस्ता खान को 150000 सेनिको के साथ युद्ध करने भेजा | शाइस्ता खान ने पुणे पर कब्ज़ा कर लिया और शिवाजी के निवास स्थान लाल महल पर अपना वसेरा डाल लिया |
शिवाजी ने अपने 400 सिपाहियों के साथ बारातियो के रूप में पुणे में प्रवेश कर लिया | रात में उन्होंने सीधा शाइस्ता खान पर खतरनाक हमला बोला | खान ने खिड़की से कूंदकर अपनी जान बचा ली लेकिन शिवाजी की तलवार से अपनी 3 उंगलिया गवां दी |
शिवाजी ने 1664 में मुग़ल व्यवसाई केंद्र सूरत पर आक्रमण करके तहस-नहस कर डाला | औरंगज़ेब गुस्से में आकर अपने 60 वर्षीय राजपूत सेना नायक मिर्ज़ा राजा जय सिंह को 150000 सेनिको के साथ लड़ने को भेजा | इस युद्ध में शिवाजी की हार हो गयी और उन्हें 23 किले और 4 लाख की मुद्रा हर्ज़ाने के रूप में देनी पड़ी | उन्हें उनके 9 वर्ष के पुत्र संभाजी के साथ आगरा जाना पड़ा |
शिवाजी को नियंत्रण में रखने के लिए पहले तय हुआ कि उन्हें मुग़ल दरबार में कोई पद दिया जाए लेकिन औरंगज़ेब ने इसे बदलकर शिवाजी को घर में कैद करने का आदेश दे दिया | यह गलती औरंगज़ेब को बहुत भारी पड़ी |
शिवाजी ने बीमारी का बहाना बनाया और स्वास्थ को ठीक करने के आशीर्वाद के लिए साधू संतो को रोज़ाना मिठाई और उपहार भेजने की इच्छा जताई | एक दिन वो खुद श्रमिक के रूप में सामान के डब्बे में अपने साथ संभाजी को छुपा कर बाहर निकल आये | वो मथुरा , काशी , गया , पुरी के बाद गोलकोंडा और बीजापुर से रायगढ़ पहुंच गए |
1670 तक शिवाजी ने कई लड़ाईया लड़ते हुए 4 महीनो के भीतर अपने राज्य का बड़ा हिस्सा मुग़लो से आज़ाद करा लिया |
1671 से 1674 तक औरंगज़ेब ने काफी प्रयास किये कि वह शिवाजी को अपने आधीन कर ले लेकिन वो हर बार बुरी तरह असफल हुआ |
1672 को आदिल शाह की मृत्यु हो गयी और बीजापुर सल्तनत की स्थिति में चला गया |
1674, 4 जून यह वह दिन था जब हिन्दू परम्परा के साथ शिवाजी का राज्य अभिषेक हुआ | वो मराठा साम्राज्य के राजा बने |
छत्रपति शिवाजी एक योग्य प्रशासक थे | उन्होंने धर्म के आधार पर कभी भी पक्षपात नहीं किया | उनकी सेना में कई अधिकारी और उनके अंग रक्षकों में मुसलमान भी शामिल थे | उन्होंने कभी नारी का अपमान नहीं किया यहाँ तक कि युद्ध में हारे हुए दुश्मनों की स्त्रियों को भी सम्मान पूर्वक वापिस कर देते थे |
गोरिल्ला युद्ध , किलो का उपयोग और नव सेना का उपयोग भारत में प्रथम बार शिवाजी ने ही किया था |
4 किलों और 2000 सैनिको से शिवाजी ने शुरुआत की लेकिन मृत्यु के समय तक यह गिनती 300 किलों और 1 लाख सैनिको की हो गयी थी |
तेज़ बुखार और पेचिश के चलते 5 अप्रैल 1680 को 50 साल की छोटी सी उम्र में छत्रपती शिवाजी महाराज का स्वर्गवास हो गया |
औरंगज़ेब ने सोचा छत्रपती शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य खत्म हो जायेगा पर ऐसा नहीं हुआ | पहले उनके पुत्र संभाजी ने और उसके बाद राजाराम ने मराठा शासन की बागडोर संभाली | औरंगज़ेब को 25 सालो तक मराठाओ से युद्ध लड़ना पड़ा जिसकी वजह से मृत्यु के समय तक वो पूरा बर्बाद हो चुका था | छत्रपती शिवाजी महाराज ने जो मराठा साम्राज्य की नीव रखी वो कर्नाटक से लेकर अटक तक फैल गयी |
भारत छत्रपती शिवाजी महाराज को उनकी वीरता और साहस के लिए हमेशा याद रखेगा |
Source : youtube.com/watch?v=L0KRrUuWdrg