चाणक्य की मृत्यु कैसे हुई यह इतिहास की अनसुलझी बातो में से एक बात है | आचार्य चाणक्य जिन्हे हम कौटिल्य नाम से भी जानते है जो कि के बहुत बड़े अर्थशास्त्री , शिक्षक , राजनीतिज्ञ , धर्माचार्य और लेखक भी थे उनकी मृत्यु के बारे में सही मत कोई नहीं जनता | हाँ चाणक्य की मृत्यु के बारे में भी दो मत निकल कर आते है | अलग अलग इतिहासकार अपना अलग अलग मत रखते है |
तो इस पोस्ट में हम आज उन ही दो मतों की बात करेंगे जो प्रचलित है |
चाणक्य की मृत्यु कैसे हुई ?
पहली कहानी
चन्द्रगुप्त मौर्य की समाधी के बाद चाणक्य के अनुशासन तले बिन्दुसार शासन कर रहे थे | पर इसी काल में पारिवारिक संघर्ष , षड़यंत्र का सामना भी कर रहे थे | परिवार के कई लोगो को और राज दरबार में कई लोगो को चाणक्य और बिन्दुसार की इतनी करीबी पसंद नहीं थी | बिन्दुसार के मंत्री सुबंधु को आचार्य चाणक्य को बिन्दुसार से दूर करना था कैसे भी करके |
मंत्री सुबंधु ने कई षड़यंत्र रचे | उन्होंने बिन्दुसार के मन में यह गलत बात बैठा दी कि बिन्दुसार की माँ के हत्यारे चाणक्य हैं | इसके बाद बिन्दुसार और चाणक्य में दूरिया बढ़ती गयी और फिर चाणक्य महल छोड़ कर चुप चाप हमेशा के लिए चले गए |
चाणक्य के जाने के बाद एक दाई ने बिन्दुसार को उनकी माता की मृत्यु का रहस्य बताया | दाई ने बताया की चाणक्य अपने हाथो से चन्द्रगुप्त मौर्य के भोजन में रोज़ थोड़ा-थोड़ा विष मिलाते थे ताकि चन्द्रगुप्त मौर्य को विष ग्रहण करने की आदत लग जाए और अगर कोई शत्रु उन्हें विष देकर मारना चाहे तो उन्हें कुछ असर न हो |
ऐसे ही चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य के खाने में विष मिलाया और वह खाना गलती से बिन्दुसार की माँ ने खा लिया |
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विष से पूरित खाना खाते ही उनकी तबियत बिगड़ने लगी और जैसे ही चाणक्य को यह बात पता चली उन्होंने बिन्दुसार की माँ का गर्भ काटकर शिशु (बिन्दुसार) को बाहर निकाला | अगर चाणक्य ऐसा नहीं करते तो बिन्दुसार मगध के राजा नहीं होते |
दाई की बात से सत्य जानकर बिन्दुसार ने चाणक्य के पास जाकर माफ़ी मांगी कर उनसे महल में वापिस आने का निवेदन किया परन्तु चाणक्य ने इंकार कर दिया | उन्होंने आजीवन उपवास रखने की ली और अंत में प्राण त्याग दिए |
दूसरी कहानी
इस कहानी के अनुसार आचार्य को जिन्दा जला दिया गया था |
अभी तक इनमे से कौनसी कहानी सच है यह साबित नहीं हो पाया है |